top of page
Search
Writer's pictureRavi Jha

ओशो का डायनामिक मेडिटेशन ओशो का 'सक्रिय ध्यान'



Ravikesh Jha


यह ध्यान विधि ओशो द्वारा अविष्कृत है। दुनियाभर में इस ध्यान विधि की धूम है। बहुत से धार्मिक और योग संगठन अब इस ध्यान विधि को थोड़ा सा बदलकर नए नाम से कराते हैं और उन्होंने इसके माध्यम से करोड़ों रुपए का व्यापार खड़ा कर रखा है। हम यहां सक्रिय ध्यान पद्धति (Osho Dynamic Meditation yog) को संक्षिप्त में लिख रहे हैं।


पांच चरणों में किया जाने वाले इस सक्रिय ध्यान को खड़े होकर किया जाता है। जिसकी अवधि कुल एक घंटा है। प्रत्येक चरण 10-10 मिनट का होता है, लेकिन आप चाहे तो इसे शुरुआत में आधा घंटा अर्थात 5-5 मिनट का कर सकते हैं। यह ध्यान ओशो द्वारा तैयार किए गए संगीत के साथ किया जाता है।

1.प्रथम चरण : महा भस्रिका

शुरुआत होती है तेज, गहरी तथा अराजकपूर्ण भस्रिका से भी अधिक तीव्रता से ली गई श्वास-प्रश्वास की स्थिति से। श्वास का यह झंझावात तन-मन को झकझोर देता है।


2.दूसरा चरण : भाव रेचक

चीखें, चिल्लाएं, नाचें, गाएं, रोएं, कूदें, हंसें या फिर शरीर को इस कदर हिलाएं-डुलाएं की जैसे कोई भूत आ गया हो। पूरी तरह से पागल हो जाएं।


3. तीसरा : हू...हू...हू

अब बाजू ऊपर उठा कर रखें और जितनी गहराई से संभव हो 'हू' की ध्वनि करते हुए ऊपर-नीचे कूदें। पूरी लय और ताकत से 'हू' का उच्चारण करते हुए कूदें, उछलें।


4.चौथा चरण : स्टॉप ध्यान

एकदम रुक जाएं। स्थिर रहें। हिले-डुलें नहीं। जो भी आपके साथ घट रहा है उसके प्रति साक्षी रहें। क्योंकि एकदम रुकने के बाद उर्जा पुन: संग्रहित होने लगेंगी।

5.पांचवां चरण: उत्सव मनाएं

जैसे थकने के बाद जो शांति मिलती है उसका उत्सव मनाएं नृत्य करें या मौन होकर ध्यान मुद्रा में बैठ जाएं। इस अनुभव को दिनभर की अपनी चर्या में फैलने दें।

चेतावनी : यह ध्यान सर्व प्रथम समूह में ही किया जाता है फिर जब इसे करना सिख जाएं तो अकेले भी कर सकते हैं इससे पूर्व इस लेख को पढ़कर अकेले करने का प्रयास कदापी न करें। गंभीर रोग से ग्रस्त व्यक्ति ध्यान प्रशिक्षक या चिकित्सक की सलाह लें।

इस ध्यान का लाभ : कोशिका में विद्युत का संचार होता है तथा फेफड़ों में जमा हुई जहरीली हवा बाहर निकल जाती है। दमित भावनाओं से मुक्ति मिलती है। मन की ग्रंथियां खुलती है। शरीर की अनावश्यक चर्बी घटकर शरीर उर्जा और फूर्ति से भर जाता है। शरीर के सभी रोगों में यह लाभदायक माना जाता है। यह ध्यान विधि व्यक्ति को जागरूक (साक्षी भाव में स्थित होना) करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

2 views0 comments

Comments

Rated 0 out of 5 stars.
No ratings yet

Add a rating
Post: Blog2_Post
bottom of page